मत्स्यासन को मछली आसन भी कहते है। इस आसन का नाम संस्कृत भाषा से आया है । मत्स्य शब्द का अर्थ है मछली और आसन शब्द का अर्थ है योग आसन या योग मुद्रा।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मत्स्य या मछली वास्तव में भगवान विष्णु का अवतार थी। भगवान विष्णु को पालक और ब्रह्मांड को बचाने वाले के रूप में जाना जाता है। यह माना जाता है कि एक बार भारी वर्षा और बाढ़ से पृथ्वी के सभी प्रकार के पाप धोने जा रही थे। ऐसा इसलिए है क्योंकि भगवान विष्णु ने मछली के रूप में अवतार लिया और सभी संतों को सुरक्षा के लिए मदद की। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि पूरी प्रक्रिया के माध्यम से ज्ञान को संरक्षित किया जाना था। जब भी व्यक्ति पृथ्वी और समुद्र के बीच संतुलन बिगड़ता है तो इस योग आसन से ध्यान केंद्रित करने और लचीलापन लाने के लिए अभ्यास किया जाता है।
और ये भी पढ़े:- गोरक्षासन विधि और लाभ
मत्स्यासन आसन करने की विधि | Matsyasana Steps in Hindi
इस आसन की प्रथमावस्था में पद्मासन लगाकर धीरे-धीरे पीछे की ओर पीठ के बल लेट जाइये; किन्तु पांवों को दोनों हाथों से पकड़े रहें। इस प्रकार लेटकर कोशिश करें कि पीठ और पेट वाले शरीर के बीच के भाग को धीरे-धीरे उठाइये।
ऐसा करने से सिर का ऊपरी भाग जमीन पर टिक जायेगा और पीठ मेहराब-सी बन जायेगी। इस क्रिया को करते समय गहरी सांस खींचें, छाती में भरें और निकालें।
यही इस आसन की पूर्णावस्था है। इसके नियमित अभ्यास से फेफड़े मजबूत होते हैं और रक्त शुद्ध होने में मदद मिलती है।
और ये भी पढ़े:- उत्कटासन योग विधि, लाभ और सावधानी
मत्स्यासन के लाभ | Matsyasana Steps in Hindi
रीढ़, पेट की आंतें तथा पेडू का भाग पुष्ट होता है।
दमा, खांसी और टॉन्सिल को दूर करने में काफी सहायक होता है।
यदि किसी की नाभि अपने स्थान से हट गयी हो, तो इसकी क्रिया करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।
और ये भी पढ़े